गायत्री-मन्त्र |

गायत्री-मन्त्र |
भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो
देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात् |

भावार्थ :- हे प्राणस्वरूप, दु:खहर्ता और सर्वव्यापक, आनन्द देने
वाले प्रभो! जो सर्वज्ञ और सकल जगत् के उत्पादक हैं, हम आपके
उस पूजनीयतम, पापनाशक स्वरूप, तेज का ध्यान करते हैं, जो
हमारी बुद्धियों को प्रकाशित करता है। पिता आपसे हमारी बुद्धि
कदापि विमुख ना हो। आप हमारी बुद्धियों में सदैव प्रकाशित रहें
और हमारी बुद्धियों को सत्कर्मों में प्रेरित करें; ऐसी प्रार्थना है।

Comments