गुरू-वन्दना........
| गुरू-वन्दना |
गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णुः गुरुः साक्षात् महेश्वरः ।
गुरुः साक्षात् परंब्रह्म, तस्मै श्री गुरवे नमः ॥
गुरुदेव नमः गुरुदेव नमः गुरुदेव नमः गुरुदेव नमः
न जानूं ज्ञान का करना,
न जानूं ध्यान का करना। गुरुदेव नमः-४
बिना गुरु ज्ञान नहिं मिलता,
बिना गुरु ध्यान नहिं मिलता। गुरुदेव नमः-४
गुरु ही ज्ञान की गंगा है,
गुरु ही ध्यान की गंगा है। गुरुदेव नमः-४
जैसे शाह बिना पत होती नहीं,
ऐसे गुरु बिना गत होती नहीं। गुरुदेव नमः-४
बिना गुरु जहाँ से जाना नहीं,
बिना गुरु आगे भी ठिकाना नहीं। गुरुदेव नमः-४
कभी गुरु की निंदिया खाना नहीं,
कभी कानों से सुनने जाना नहीं। गुरुदेव नमः-४
जो गुरु की निंदिया खाएगा,
वह दर-दर की ठोकर खाएगा। गुरुदेव नमः-४
गुरु एक और सेवा अनेक करूँ,
गुरु के चरणों में चित्त को धरूँ। गुरुदेव नमः-४
गुरु अन्तिम जीवन का सहारा है,
गुरु भक्ति का इक द्वारा है।
गुरुदेव नमः गुरुदेव नमः गुरुदेव नमः गुरुदेव नमः
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